प्रिय प्रधानमंत्री जी,
मैंने आपका एक बयान पढ़ा, जिसमें आपने कहा है, “किसान के घर जब एक बेटी पैदा हो, उस वह एक ऐसा पेड़ लगाए, जिससे जब उसकी बेटी की शादी होगी, उस वक्त वह पेड़ काट कर शादी का खर्चा निकल सकता है”
यकीन मानिए प्रधानमंत्री जी, मैं आपका यह बयान पढ़कर बिल्कुल खुश नहीं हूं। आपका यह बयान पढ़कर मुझे अपने गांव के बुज़ुर्गों की याद आ गई। गांव के बुज़ुर्ग हर बड़ी होती लड़की को देख अक्सर कहा करते हैं, ‘बिटिया बड़ी हो गई है, अब इसकी शादी कर देनी चाहिए।’ एक लड़की को लेकर उनकी सारी चिन्ता उसकी शादी की ही होती है। अब आप ही बताइए प्रधानमंत्री जी, उनलोगों में और आप में क्या फर्क है?

प्रधानमंत्री जी, शायद आप नहीं जानते कि ‘लड़की की शादी करनी होगी’ इसी चिंता से हर साल हज़ारों लड़किया पैदा होने से पहले ही मार दी जाती हैं। बहुत कम घर हैं जहां लड़कियों के जन्म लेने पर जश्न मनाया जाता है।
हिंदुस्तान में लड़कियो के जन्म लेने पर शोक मनाया जाता है। कई महिलाओ को उनके पति लड़की पैदा करने की वजह से छोड़ देते है। बेटी पैदा हो जाने की वजह से महिलाओं की ज़िंदगी नरक बना देते है।
मोदी जी, एक तरफ आप ‘बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ’ का नारा देते हैं, वही दूसरी तरफ आपकी पूरी चिंता एक लड़की की शादी की है। यह बिल्कुल गलत है।
आज़ादी के इतने साल गुज़र गए, आज भी लड़कियों की पढ़ाई की चिंता किसी को भी नहीं है। ज़्यादातर जगहों पर स्नातक के कॉलेज नहीं हैं।
मैं तो बहुत खुशनसीब हूं, जो जामिया जैसे कॉलेज से पढ़ाई कर रही हूं, लेकिन मेरे आस-पास बहुत सी लड़कियां हैं जो पढ़ना चाहती हैं। अपनी ज़िन्दगी में कुछ करना चाहती हैं, लेकिन उनके लिए कोई अच्छा कॉलेज नहीं है जहां वह पढ़ाई कर सके। सारी लड़कियां दिल्ली ही तो नहीं आ सकती हैं।
मेरी एक बहन है जो छपरा ( जहां से राजीव प्रताप रूडी सांसद हैं, बीजेपी से ही हैं।) के जयप्रकाश नारायण यूनिवर्सिटी में पढ़ रही है। उसके स्नातक के तीन साल गुज़र गए, लेकिन अभी तक उसके प्रथम सत्र का एग्ज़ाम नहीं हुआ। अब आप ही बताइए प्रधानमंत्री जी, हमारा भारत शिक्षा के क्षेत्र में कितना आगे बढ़ रहा है। मेरी बहन कितने सालो में स्नातक की पढ़ाई खत्म करेगी? कॉलेज में गुरु नहीं है और आप भारत को विश्व गुरु बनाना चाहते हैं। यह कैसे होगा सर?
प्रधानमंत्री जी, आप यह क्यों नहीं सोचते हैं कि “किसान के घर में जब एक बेटी पैदा हो उस टाइम वह एक ऐसा पेड़ लगाए, जिससे जब उसकी बेटी बड़ी हो स टाइम किसान उस पेड़ को कटवा कर उस बेटी के पढ़ाई में खर्च कर सके।”
यकीन मानिए प्रधानमंत्री जी अगर लड़कियां पढ़ाई करेंगी, अपनी ज़िंदगी में सफल होंगी तो वह शादी खुद कर सकती हैं।
मैं यह उम्मीद करती हूं कि यह पत्र आप तक पहुंच जाए। अगर यह पत्र मिल जाए तो ध्यान दीजिएगा, आप हमें पढ़ने का मौका दिला दीजिए हम शादी खुद कर लेंगे।
ज्योति कुमारी
एक नागरिक
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