हमारे देश के बड़े शहरों में अमूमन एक शब्द का इस्तेमाल होता है, स्लम यानी झुग्गी झोपड़ियां की बस्ती। आलीशान चमचमाती इमारतों के बीच अपनी जगह बनाए हुए, छोटे-छोटे गाँव और कस्बों से लोग बड़े शहरों में रोज़गार की तलाश में आते हैं लेकिन यहां की भागमभाग वाली ज़िन्दगी के फेर में फंसकर दिहाड़ी मज़दूर बनकर रह जाते हैं। अपनी दिनभर की कमाई से अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। इन छोटी-छोटी बस्तियों में अपने...
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