हर दौर की पत्रकारिता में अखबारों को लोगों की ज़ुबान में पहुंचाना आसना नहीं रहा है। हमारे देश में तो हर दो कोस पर ज़ुबान बदल जाती है। हिन्दी पत्रकारिता ने हिन्दी को अखबारों के ज़रिये लोगों तक पहुंचाया है। अपनी जुबान में बातें करना, अपनी ज़ुबान में पढ़ना, अपनी ज़ुबान की शहद में डूब जाने का जो मज़ा है, वह किसी और ज़ुबान में नहीं है। हमारे पत्रकारों के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती रही है कि वे हिन्दी को...
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