जहां एक और बसंत की आहट है, वहीं बजट की सुगबुगाहट भी बढ़ गई है और इस सुगबुगाहट के बढ़ने की एक खास वजह गिरती इकोनॉमी और बेरोज़गारी है। जिसे 40 साल की सबसे खराब स्थिति माना जा रहा है। वहीं अर्थशास्त्र विशेषज्ञों, बजट गुरुओं ने उम्मीद जताई है कि वित्तमंत्री सीतारमण कुछ ऐसा लायेंगी जो आम जनता पर कर्ज का बोझ कम करेगा। स्वतंत्र भारत का पहला बजट 28 फरवरी 1950 को जॉन मथाई ने पेश किया था और यह परंपरा तब से अब...
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