कोविड-19 वैश्विक महामारी की खबर उस कड़वे करेले सरीखी हो गई है जो तीखा होने के बावजूद भी हर किसी की ज़ुबान पर चढ़ा हुआ है। हम हर खबर को खबर की तरह ही पढ़े जा रहे हैं और हम में से हर दूसरा शख्स इस उम्म्मीद में है कि वो अपने घर में सुरक्षित है। बेशक सुरक्षित होना भी चाहिए यह हमारा अधिकार भी है और ज़िम्मेदारी भी। जहां हर कोई तसल्ली से अपने घरों में बैठा है, वहीं मैं शंकित हूं और आशंकित भी! सोचिए यह...
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