जब उन्होंने मुझे और मेरे साथी को काले लिबास में देखा, तो उन्होंने डंडे से हमारा रास्ता रोकने की कोशिश की। मैंने कहा क्या हुआ सर? तो बोले कहां जाना है? मैंने कहा मजलिस में जा रहे हैं शाहे मरदां इमामबाड़ा। इतना सुनकर उनका मुंह गुस्से से लाल होकर तमतमाने लगा। पीछे से एक पुलिसवाले ने मेरे दोस्त के ऊपर डंडे से वार करना चाहा, तो मैंने तेज़ आवाज़ में कहा ‘सर, वो मुसलमान नहीं है।
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