आज पूरा देश कंगना से लेकर रिया तक के ऐसे मुद्दों में उलझा है, जिसका हासिल कुछ भी नहीं है। गैर-ज़रूरी बहसों के बीच बेहद ज़रूरी सवाल उठा रहे बेरोज़गार युवाओं की आवाज़ किसी को सुनाई नहीं दे रही है। सालों तक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवा अब सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक अपना विरोध दर्ज़ करा रहे हैं, सवाल कर रहे हैं और अपने अधिकारों के लिए सत्ता से संघर्ष कर रहे हैं। मीडिया की सुर्खियों में...
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