फरवरी 2020 में मैंने हवस के बाज़ार को अलविदा किया था, क्योंकि इस दुनिया में मैं अपनी मर्ज़ी से नहीं, बल्कि मजबूरी में आई थी। मुझ जैसे लोगों को अगर चंडीगढ़ जैसे शहर में जीना था, तो मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था, क्योंकि मुझे मेरे घर से निकाल दिया गया था। मैं कुछ घंटों से बेघर थी और मदद के लिए मैंने करीब सौ लोगों को फोन किया, जो मेरे जान पहचान के थे मगर किसी ने भी मेरी मदद नहीं की। मुझे खजेरी के बार...
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