समाज में व्याप्त असमानता की जो परछाई है, वह मैंने बचपन से देखी है। मैं यह सोचती हूं कि हम एक ऐसे माहौल में बड़े हो रहे हैं, जहां लड़का और लड़की के बीच का भेद हमारे अंदर जमकर भरा जा रहा है, यह कब खत्म होगा? घर, स्कूल, कॉलेज, दफ्तर, मंदिर या कोई भी स्थान हो, हम इस भेदभाव से बच नहीं पाए हैं। यह बेहद दुःख की बात है कि 21वीं सदी में भी हम इन कुरीतियों के साथ जी रहे हैं। आज हम बड़े से बड़े संस्थान म...
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