

लोग कहते हैं कि वह एक योद्धा है और मैं हौले से मुस्कुरा देती हूं। क्या करूं? उसने मुझे कोई अन्य विकल्प दिया ही नहीं। लोग पूछते हैं कि क्या वह ठीक है? पर मैं समझ नहीं पाती कि मैं क्या जबाव दूं। पिछली रात उसे हंसते देख कर मिलने वाली खुशी या फिर आज उसे अपनी बांहों में चैन से सिर टिकाये सोते देख कर भी मन में उठने वाली आशंकाएं। यह सारी बातें इसलिए क्योंकि मेरी बेटी डायबीटिज से हर रोज लड़ती है और साथ में लड़ रही हूँ मैं।
क्या लोग समझेंगे रोज की हमारी लड़ाई
मैं कैसे अपने इन एहसासों को अभिव्यक्त कैसे करूं? कैसे बयान करूं अपनी उस पीड़ा को शब्दों में, जब वह कमजोर महसूस करते हुए भी मुझसे उछलने और दौड़ने की परमिशन चाहती है, क्योंकि अभी वह बहुत छोटी-सी है। अभी उसे सिर्फ उछल-कूद और मस्ती करना ही भाता है। मैं उसे कैसे बताऊं कि उस वक्त मेरे दिल पर क्या गुजरती है, जब वह मुझसे अपना मनपसंद स्नैक्स मांगती है और मैं उसके ग्लूकोज स्तर को बढ़ा हुआ देख कर उसे यह कहते हुए टालने की कोशिश करती हूं कि मेरी प्यारी बिटिया, मां तुम्हें तुम्हारी मनपसंद चीज जरूर देगी, लेकिन थोड़ा इंतजार करो। थोड़ा इंतजार करो और मैं जितना ज्यादा हो सका तुम्हें वो दूंगी। उस वक्त ऐसा कहते हुए मैं बस ईश्वर से यही प्रार्थना कर रही होती हूं कि हे ईश्वर! कृप्या कोई परेशनी न खड़ी हो।
बच्चों में डायबीटिज कितना मुश्किल है
कभी-कभी सोचती हूं कि काश! यह सब उतना ही सरल होता, जितना कि प्रतीत होता है। मैं सावधानीपूर्वक उसके कार्ब काउंट का निरीक्षण करने के बाद उसे इंसुलिन इंजेक्शन दूं और उसे देते ही पलक झपकते उसकी परेशानी नियंत्रित हो जाये और उसके शरीर में ग्लूकोज का स्तर सामान्य हो जाये। मैं कैसे बताऊं लोगों कि यह केवल 'ये' या 'वो' विकल्प तक ही सीमित नहीं है। इसके पीछे कई सारे कारक शामिल हैं। कई बार इन सबकी वजह उसका मूड होता है, तो कई बार उसकी दिनचर्या, कई बार उसकी बीमारी, तो कई दफे कमबख्त खराब मौसम या फिर पता नहीं और क्या और किन कारणों से उस नन्ही-सी जान को भारी परेशानी झेलनी पड़ जाती है।
मेरे मन का अपराध बोध
कई बार जब सोचने बैठती हूं, तो समझ नहीं आता कि मैंने ऐसी कौन-सी गलती कर दी थी, जिसकी वजह मेरी गुड़िया रानी को यह तकलीफ झेलनी पड़ रही है! क्या जब वह पैदा होनेवाली थी, तो मैंने किसी तरह की लापरवाही बरती थी या फिर उसकी पैदाइश के बाद उसे दूध पिलाने, उसका ख्याल रखने, उसे नहलाने, सुलाने या फिर उसे अपने गले लगाने तक में कहीं कोई चूक हो गयी मुझसे? हर दिन, हर लम्हा, मैं खुद को इन सबके लिए दोषी महसूस करती हूं। मुझे खुद पर गुस्सा आता है कि आखिर क्यों मैंने इस बीमारी के लक्षणों के बारे में नहीं पढ़ा? दुनिया भर की जानकारी पढ़ती और शेयर करती हूं। पर कभी इस बारे में जानने की कोशिश क्यों नहीं की?
वह इतनी परेशानी से गुजर रही थी और मुझे इस बात का एहसास तक नहीं हुआ! क्या मेरे मन से कभी यह अपराधबोध खत्म होगा? क्या कभी भी इन सबके लिए मैं खुद को माफ कर पाऊंगी? मैं खुद को हर उस बार के लिए कोसती हूं, जब-जब मैंने उससे 'ना' कहा। जब कभी भी वह थोड़ी-थोड़ी देर पर पीने के लिए पानी मांगा करती थी, मैंने उसे ना कहा। 'बदमाशी मत करो। इतनी जल्दी-जल्दी प्यास नहीं लगती।' मैंने उसे ना कहा, जब वह मुझसे हमेशा ही मुंह लटका कर मुझसे अपने गोद में लेने की जिद किया करती। अब तुम खुद चल-कूद सकती हो। हमेशा गोदी में लेने की जिद नहीं करो। समय पर और भरपेट पौष्टिक भोजन करने के बावजूद उसका वजन नहीं बढ़ रहा था। बावजूद इन सारे संकेतों के मैं उन्हें एक सूत्र में नहीं पिरो सकी। उसकी तकलीफ की वास्तविक वजह नहीं समझ पायी और जब समझा, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
डायबीटिज को समझना मुश्किल है
काश! मुझे टाइप-1 डायबीटिज के बारे में पहले से पता होता, तो आज शायद मेरी नन्हीं गुड़िया की तकलीफ को मैं थोड़ा कम कर पाती। यह सब बताते हुए मैंने फेस्बूक पर अपनी तकलीफ और एहसास को बयान करने की कोशिश की। यह अनुभव उस मां का है, जिसे दो वर्ष पहले अपनी 11 माह की बेटी के टाइप-1 डायबीटिज से ग्रस्त होने के बारे में पता चला। वह भी तब जबकि वह उसका पहला जन्मदिन मनाने की तैयारी कर रही थी। द इंटरनेशनल डायबीटिज फेडरेशन (IDF-2021) की रिपोर्ट की मानें, तो विश्व भर में 5–10% फीसदी लोग टाइप-1 डायबीटिज से ग्रसित हैं, जबकि भारत में प्रति हजार लोगों में इसकी संख्या 171.3 के करीब है और साल-दर-साल यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में न जाने कितनी मांओं को इस स्थिति से गुजरना पड़ रहा है। लेकिन उन्हें इसके बारे में जानकारी न होने की वजह से वे समय रहते अपने बच्चे के उन लक्षणों पर ध्यान नहीं दे पाती, जो उसके डायबीटिक होने का संकेत देते हैं।
बच्चों में डायबीटिज के मुख्य प्रकार
बच्चों के मुख्यत: चार प्रकार के डायबीटिज से ग्रस्त होने की संभावना अधिक है। टाइप-1 डायबीटिज (90%), टाइप-2 डायबीटिज, मोनोजेनिक डायबीटिज तथा MODY (Maturity onset diabetes of young) डायबीटिज। WHO की रिपोर्ट कहती है कि डायबीटिज के लक्षण अचानक से उभरते हैं।
डायबीटिज के कुछ प्रमुख लक्षण
डायबीटिज के कुछ प्रमुख लक्षण ये हो सकते हैं-
- बहुत अधिक प्यास लगना
- सामान्य से अधिक पेशाब लगना
- नजर धुंधला पड़ना
- हर समय थकान और चिड़चिड़ापन महसूस होना
- बिना किसी निश्चित कारण के शरीर का वजन कम होना
समय के साथ, डायबीटिज इंसान के हृदय की धमनियों, आंखों, किडनी और स्नायुओं को क्षतिग्रस्त कर सकता है। यही नहीं, इसके प्रभाव स्वरूप व्यक्ति के आंखों की रोशन स्थायी रूप से जा सकती है। डायबीटिज के चलते कई लोगों के पांव की नसें क्षतिग्रस्त हो सकती है और उनमें रक्त का संचार सही तरह से नहीं हो पाता है। नतीजा, उनके पांव में घाव हो सकता है। यह समस्या अधिक गंभीर होने पर उनके पांव काटने भी पड़ सकते हैं।
डायबीटिज की पहचान, बचाव और उपचार
डायबीटिज का मुख्य कारण हमारे शरीर में मौजूद रक्त में शर्करा (glucose) की मात्रा का आवश्यकता से अधिक होना है। बता दें कि एक सामान्य व्यक्ति के शरीर में भूखे रहने पर ग्लूकोज का स्तर 76-99 मि।ग्रा।/डीएल तथा भोजन करने के बाद 100-149 मि।ग्रा।/डीएल के बीच होता है।
टाइप-1 डायबीटिज के होने की मुख्य वजह व्यक्ति विशेष के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों की वजह से उसके अग्नाश्य (pancreas)) द्वारा शरीर के पोषण हेतु पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन (insulin) के उत्पादन की अक्षमता है। अक्सर यह समस्या 0-5 साल की उम तक बच्चों में परिलक्षित हो जाती है, जिसके बाद उसे ताउम्र इंसुलिन इंजेक्शन पर निर्भर रहना पड़ता है। कारण, अब तक टाइप-1 डायबीटिज के कारणों और इसके रोकथाम के उपायों के बारे में हमारे पास सटीक जानकारी का अभाव है। फिर भी समय रहते अगर हमें इसके बारे में पता चल जाये, तो हम आवश्यक सावधानियां बरत कर इसकी गंभीरता को कम जरूर कर सकते हैं।
क्या कहते हैं आंकड़ें
- भारत में टाइप-1 डायबीटिज से ग्रस्त बच्चों की संख्या सर्वाधिक है। यहां 0-19 उम्र के करीब 2.4 लाख बच्चे और कुल 8.75 लोग इससे पीड़ित है। एक अनुमान के मुताबिक प्रति एक लाख में 10 बच्चे टाइप-1 डायबीटिज से ग्रस्त है।
- वर्ष 1980 में दुनिया भर में डायबीटिज (दोनों तरह) के कुल मरीजों की संख्या 108 मिलियन थी, जो कि वर्ष 2014 में बढ़ कर 422 मिलियन हो गयी। बढ़त की यह दर उच्च आय वाले देशों की तुलना में निम्न एवं मध्यम आय वर्ग वाले देशों में अधिक तीव्र रही।
- वर्ष 2019 में डायबीटिज की वजह से होनेवाले किडनी फेल्योर की समस्या के कारण करीब 20 करोड़ लोगों की मौत हुई थी।
- वर्ष 2000 से वर्ष 2019 के बीच उम्र के आधार पर डायबीटिज से मरनेवाले लोगों की संख्या में 3% बढ़ोतरी हुई है।
संतुलित और पौष्टिक भोजन, शारीरिक गतिविधि, योग एवं प्राणायाम तथा प्रभावित बच्चे की स्वास्थ्य स्थिति पर लगातार नजर रख कर डायबीटिज के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है अथवा इसकी चपेट में आने से बचा जा सकता है।