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आसान भाषा में समझिए फेसबुक डेटा लीक मामला और इसका इंडिया कनेक्शन

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केंब्रिज एनालिटिका का डेटा लीक मामला पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत भी पहुंचा। इसके बाद व्हाट्सएप पर मैसेज आया कि यदि कमेंट में BFF टाइप करने पर आपके फेसबुक का रंग हरा हो जाता है तो आपका डेटा सुरक्षित है, जो कि गलत मैसेज है। अब अपनी प्राइवेसी,डेटा को लेकर फिक्रमंद लोग BFF टाइप करने लगे। इससे पता चलता है कि हमारे देश में इंटरनेट लिट्रेसी कितनी कम है।

कंपनी ने भारतीय यूज़र्स का भी डेटा बेचा। मामले की व्यापकता को देखते हुए सरकार की ओर से सूचना प्रौद्योगिकी और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद मीडिया के सामने आएं। उन्होंने कहा कि भारत अपने नागरिकों का डेटा सुरक्षित रखने में पूरी तरह समर्थ है। हमारे पास कई सारे कानून हैं, जिससे दोषी कंपनी पर कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही उन्होंने कहा कि ज़रूरत पड़ी तो हम ज़करबर्ग को भी तलब करेंगे।

उन्होंने कांग्रेस पर भी आरोप लगाया है कि कांग्रेस 2019 में इस कंपनी का इस्तेमाल करने वाली थी। फेसबुक अभी भारत ही नहीं पूरी दुनिया में संकट में है। अमेरिका और ईयू की संसद ने ज़करबर्ग से जबाब मांगा है। कहा जा रहा है कि फेसबुक अभी तक के सबसे मुश्किल परिस्थिति में है।

क्या है मामला-

ब्रिटिश प्रोफेसर अलेक्ज़ेंडर कोगन ने this is your digital life नाम का ऐप बनाया, जो कि फेसबुक बेस्ड है। इस ऐप को तकरीबन 2 लाख 70 हज़ार लोगों ने डाउनलोड किया, यह पर्सनैलिटी बताने वाली ऐप थी। यह ऐप एक बार डाउनलोड हो जाने के बाद यूज़र  और उसके फेसबुक फ्रेंड्स के डेटा स्टोर कर लेती थी। इस तरह इस फर्म के पास 5 करोड़ यूज़र का डेटा आ गया। अब इसने इस डेटा को केंब्रिज एनालिटिका नाम की कंपनी को बेच दिया। अब केंब्रिज एनालिटिका कह रही है कि उसे इस बारे में पता नहीं था। कोगन कह रहे हैं कि उन्होंने कुछ भी गैरकानूनी नहीं किया है।

केंब्रिज एनालिटिका एक ब्रिटिश पोलिटिकल कंसल्टिंग कंपनी है, जिसका काम अपने क्लाइंट को सलाह देना, रिसर्च करना, माहौल बनाना होता है। कंपनी के मालिक रोबर्ट मर्सर हैं। कंपनी पर आरोप है कि उसने अमेरिका में ट्रम्प के पक्ष में काम किया और ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से भी बाहर जाने के पक्ष में माहौल बनाया, जिसके लिए गैरकानूनी ढंग से हासिल डेटा का इस्तेमाल किया।

केंब्रिज एनालिटिका की पैरेंट कंपनी SCL है, SCL नें इससे पहले भी कई देशों में काम किया था। जिसमें एक देश घाना भी था,जहां 2011 में चुनाव था। क्रिस्टोफर विली, SCL के लिए घाना में काम करते थे। कर्मचारी होने के नाते वो अच्छी तरह जानते हैं किस तरह केंब्रिज एनालिटिका ने डेटा का गलत इस्तेमाल किया है। क्रिस्टोफर विली अब विसलब्लोअर बन गए हैं, वो ही केंब्रिज एनालिटिका की पोल खोल रहे हैं।

भारत में SCL की पार्टनर कंपनी OBI है। OBI को अमरीश त्यागी चलाते हैं,अमरीश , JDU नेता केसी त्यागी के पुत्र हैं। केंब्रिज एनालिटिका की वेबसाइट पर बिहार चुनाव का भी ज़िक्र है। जहां उसने JDU और BJP के लिए काम किया था। ओबीआई की वेबसाइट पर भाजपा को क्लाइंट के तौर पर दिखाया गया है। अमरीश ने राजनाथ सिंह सहित कुछ अन्य बीजेपी नेताओं के साथ काम करने की बात को स्वीकारा था। हलांकि अमरीश ने कहा कि उन्होंने कोई नियम नहीं तोड़ा है।

OBI की वेबसाइट पर कांग्रेस को भी क्लाइंट बताया गया है। रविशंकर प्रसाद भले ही कहें कि कांग्रेस 2019 चुनाव में केंब्रिज एनालिटिका का इस्तेमाल करने वाली थी। जबकि हकीकत है कि काँग्रेस और बीजेपी दोनों केंब्रिज एनालिटिका के सम्पर्क में थी।

पूरे विवाद के बाद फेसबुक पर भी संकट आ गया। फेसबुक पर जानते हुए भी नज़रअंदाज़ करने का आरोप लग रहा है। हालांकि फेसबुक इसका खंडन कर रही है। व्हाट्सएप( जो फेसबुक द्वारा खरीदा जा चुका है) के सह संस्थापक रहे ब्रायन एक्टन ने कहा कि अब फेसबुक डिलीट करने का वक्त आ गया है। ट्विटर पर #DeleteFacebook ट्रेंड कर रहा है। फेसबुक का शेयर भी 7% तक गिर गया।

यह वक्त सियासी दलों से भी सवाल पूछने का है कि किस तरह वो पिछले दरवाज़े से कानून तोड़ने वालों की मदद करते हैं और उनकी मदद लेते हैं। अभी ही किस तरह देश की दोनों बड़ी पार्टियां राजनीति कर रही हैं। जबकि दोनों पार्टियों से उसका संपर्क था। यह वक्त उपभोक्ता को भी अपनी प्राइवेसी को लेकर सतर्क होने का है, उन्हें भी किसी ऐप को परमिशन देते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए। बाकि उम्मीद है कि संबंधित सरकारें उचित कार्रवाई करेगी। फेसबुक भी भविष्य में ऐसी घटना को लेकर सतर्क रहें, वरना एक बार विश्वास डिगने के बाद दोबारा हासिल करना बेहद मुश्किल है।

फोटो आभार- फेसबुक सेक्योरिटी वीडियो स्क्रीनशॉट


सौरभ Youth Ki Awaaz के फरवरी-मार्च 2018 बैच के ट्रेनी हैं।

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