देश स्वयं के आज़ाद होने पर आज़ादी के 75वें साल में पहुंच कर अमृत महोत्सव बना रहा है, परंतु देश को आज़ाद कराने की चाहत में जिन क्रांतिकारियों ने हंसते-हंसते नादान सी उम्र में भी हंसते-हंसते फांसी के फंदे को गले लगा लिए, आज हमें उनकी स्मृतियों पर जमी समय की धूल को झाड़ने तक की फुर्सत नहीं है, हमारा यह व्यवहार देश की आज़ादी के लिए अपने प्राणों का त्याग करने वाले क्रांतिकारियों के प्रति बहुत तकलीफदेह ह...
↧