मामलों की त्वरित सुनवाई भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का एक अभिन्न और अनिवार्य हिस्सा है तथापि, लंबित मामलों की संख्या में लगातार वृद्धि से मामलों के निपटान में होने वाली देरी के कारण आम जन को इस अधिकार से वंचित होना पड़ता है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च द्वारा किया गया एक अध्ययन बताता है कि 15 सितंबर, 2021 तक, भारत की सभी अदालतों में 4.5 करोड़ से अधिक...
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