जबरन शादी कराने वाले इस समाज पर एक करारा तमाचा है फिल्म ‘अतरंगी रे’
फिल्म अतरंगी रे, आज के समय में बेहद ज़रूरी और मेंटल हेल्थ को लेकर अहम संदेश देती हुई कहानी है। कहानी में बिहार की एक लड़की रिंकू सूर्यवंशी को जादूगर सज्जाद अली से प्यार है, जिसके कारण लड़की उस लड़के के...
View ArticleAn Open Letter: “Dear Political Prisoners, Your Innocence Is Your Weapon”
A young person opens up to prisoners who have been put behind bars for the wrong reasons. Read this open letter full of honest self-realisations about one’s own privilege; and a pat on the back of the...
View ArticleFrom Aryan Khan To Batman, Everyone Is A Pawn In The Free Market. How?
Elements of pop-culture tend to serve some functions in keeping a society running. In other words, they help maintain the status quo in the society. I am not positing a conspiracy theory here, but...
View Articleक्यों महिलाओं के खाने की थाली आधी होती है
महिलाओं की शारीरिक सुंदरता की भूरी-भूरी प्रशंसा में भारतीय ही नहीं, बल्कि विश्व की हर भाषा के साहित्य में बहुत कुछ लिखा जाता रहा है। मौजूदा दौर में भी साहित्य के साथ-साथ सौंदर्य प्रतियोगिताओं का भी चलन...
View Article“मैंने अपने सपनों की उडान को पूरा करने के लिए खुद को आत्मनिर्भर बनाया”
हेलो मेरा नाम रूबी है। मैं फेमिनिस्ट एप्रोच टू टेक्नोलॉजी में स्टाफ के रूप में काम करती हूं। यहां आने के चार साल पहले मेरी एक अलग ही पहचान थी। मैं लोगों से ज़्यादा बात नहीं करती थी और बड़ों के सामने तो...
View Articleफेक न्यूज़ के चंगुल में फंसता आम जन और धूमिल होता इतिहास
30 जनवरी, 1933 एडोल्फ हिटलर को जर्मनी का चांसलर नियुक्त किया गया था। उस समय हिटलर सत्ता के शीर्ष पर था, लेकिन जर्मनी में अभी-भी लोकतंत्र बचा हुआ था। 14 मार्च, 1933 को एक नए मंत्रालय का गठन हुआ, उसका...
View Articleनागौर का ‘मूंडवा’जहां जल संरक्षण एक परंपरा के रूप में प्रचलित है
नागौर से 22 किलोमीटर दूर मूंडवा कस्बा आधुनिक विकास और पारंपरिक व्यवस्थाओं के बीच सामंजस्य के साथ विकसित हो रहा है। इस कस्बे के पास एक सीमेंट का प्लांट निर्माणाधीन है, जिससे मूंडवा ही नहीं, आस-पास के कई...
View Article“समाजशास्त्र मेरा पसंदीदा विषय है, जिसमें हम खुद का अध्ययन करते हैं”
मेरी नज़र कमज़ोर होने लगी थी। चश्मा था, लेकिन लैंस पर धूल जमी थी। बरसों पुरानी धूल साफ किए साफ नहीं होती है और सब कुछ धुंधला सा दिखाई देता था, जो हो रहा था अच्छा ही चल रहा था। कभी सोचा नहीं मेरे सामने...
View Articleमाँ, क्या मैं सेक्स टॉय खरीद सकती हूं?
नैना नाम की एक दिव्यांग लड़की सेक्स टॉय खरीदना चाहती थी, लेकिन क्या उसके लिए यह आसान था? क्या उसकी माँ इसके लिए कभी तैयार होगी? क्या वह इसका सही इस्तेमाल कर पाएगी? उसके पास बहुत सारे सवाल हैं लेकिन...
View Article“Republic of Hindutva: How Sangh is Reshaping Indian Democracy”
Trigger warning: mentions of Islamophobia and casteism Badri Narayan’s intervention in the understanding of the Sangh Parivar has come in abnormal times. Abnormal seems to be his methodology. I have...
View Article“मैं जीवन की परिस्थितियों से कभी हार मानकर रुकी नहीं”
यह कहानी कोरोना नहीं करुणा अभियान मीटिंग 2021 पार्ट -2 के सेशन ‘ह्यूमन लाइब्रेरी’ से ली गई है जिसका नाम सभी ने मिलकर “साहस की कहानी” रखा था। घर परिवार और समुदाय हेलो, मेरा नाम रितम है। मैं एक गाँव की...
View Article“भारत में बंदियों और कारागारों की स्थिति में बदलाव की चुनौतियां और समाधान”
गांधी ने जेलों के लिए अस्पताल शब्द का इस्तेमाल किया, उनके लिए जेल वे स्थान हैं जहां अपराधी बेहतर होने के लिए जाते हैं। हालांकि, ब्रिटिश राज के बाद उत्तर-औपनिवेशिक भारत में जो हुआ वह एक अलग वास्तविकता...
View Article“सरकार की उदासीनता, अकुशल नेतृत्व और कोविड से गर्त में जाता बिहार का हस्तकरघा...
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से हैंडलूम (हस्तकरघा) की अपनी समृद्ध परंपरा और हुनरमंद बुनकरों के हुनर को दुनिया के सामने लाने की अपील की थी बावजूद...
View Article“कैलाश सत्यार्थी के जन्मदिन को ‘सुरक्षित बचपन दिवस’मनाना प्रासंगिक है”
11 जनवरी को जाने-माने बाल अधिकार कार्यकर्ता व नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का जन्मदिवस है। उनका जन्मदिवस “सुरक्षित बचपन दिवस” के रूप में मनाया जाता है। आम जनमानस बाल मज़दूरों के कष्टों से...
View Article“पश्चिम की चकाचौंध में स्वामी विवेकानंद के सिद्धातों को विस्मृत करता युवा”
129 साल पहले जब विदेशी मेहमानों के सामने शिकागो के मंच से स्वामी विवेकानंद ने भाषण दिया तो कई मिनटों तक तालियों की गूंज हर तरफ गूंजती रही। पूरी दुनिया के सामने भारत की सभ्यता, संस्कृति और गौरव का ऐसा...
View Article“माहवारी के नाम पर आज भी पहाड़ी किशोरियों को सामाजिक रूढ़ियों ने जकड़ रखा है”
मंजू ढपोला, कपकोट, बागेश्वर उत्तराखंड। डिजिटल दुनिया, हज़ारों तकनीक विकसित देश इस 21वीं सदी की खासियत हैं। यह सब इतनी उपलब्धियां पाने के बाद भी आज लोगों के जहन से हम माहवारी के विषय में व्याप्त पुरानी...
View Article“माहवारी छूत की बीमारी नहीं, एक सामान्य महज शारीरिक प्रक्रिया है”
चांदनी परिहार, गरुड़ (बागेश्वर) उत्तराखंड। हमारा देश भारत जहां 21वीं सदी में कदम रख चुका है। वहीं हमारे देश में विकास का स्तर काफी अच्छा है, चाहे वह शिक्षा का स्तर हो या महिलाओं में सामाजिक जागरुकता का...
View Articleआधारभूत बुनियादी सुविधाओं के अभाव में पढ़ने को मज़बूर हैं उत्तराखंड की...
खुशबू बोरा, पिंगलो, गरुड़ बागेश्वर, उत्तराखंड। मेरे गाँव का नाम पिंगलो है। पिंगलो के मैगड़ी गाँव में ही हमारा स्कूल है। हमारे स्कूल में बहुत सी कमियां हैं जिससे बच्चों, शिक्षकों, बच्चों के माता-पिता और...
View Articleप्रत्येक वर्ष लगभग 1.30 करोड़ टन प्लास्टिक समुद्र में समाता जा रहा है
क्या आप प्लास्टिक खाते हैं? आपको यह सवाल शायद अजीब या बेवकूफाना लगे पर यह सच है। हम किसी-ना-किसी तरीके से प्लास्टिक खा-पी रहे हैं और दूसरा सच यह भी है कि प्लास्टिक एक ऐसी वस्तु है, जो खत्म नहीं होती और...
View ArticleUP: मायावती लड़ाई से बाहर लेकिन सोशल इंजीनियरिंग से बना सकती है BSP सरकार
हम यदि पिछले 4 विधानसभा चुनाव के रिकॉर्ड को देखें, तो बहुजन समाज पार्टी का औसतन वोट प्रतिशत 22 रहा है, जो 2014 लोकसभा चुनाव, 2017 विधानसभा चुनाव और 2019 लोकसभा चुनाव के मोदी लहर में उनसे अलग नहीं हुआ।...
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