Handle ‘Family’ Law’, Have A ‘Caring’ Attitude: Lives Of Women Lawyers In...
As a nervous 18-year old intern, I entered one of the courtrooms at the Indore bench of the Madhya Pradesh High Court on a busy day. While the proceedings were ongoing, I stared at a room full of men...
View Article“मैंने समाज की सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ कर अपनी खुद की पहचान बनाई है”
मेरा नाम सरिता है। मैं बिहार से हूं। मेरी मम्मी की कम उम्र में शादी हुई थी। उनकी तबियत खराब होने के कारण वह दिल्ली आ गईं। मैं तीन महीने की थी, जब मेरी मम्मी गर्भ से थी। उस वक्त मुझे मेरी नानी ने मुझे...
View ArticleValentines Day, 2022: साझा करिए आपकी प्यार की कहानियां
शाम को दलान में बैठकर जब घर के तमाम लोग चाय पर गप्पे लड़ा रहे होते थे, तो हम चुपचाप पीछे वाले दरवाज़े से निकलकर पप्पू की चाय की टपरी पर भागते-भागते जाते और पुष्पा से मिल लेते थे, कुछ ऐसे ही नज़रें...
View Article“बात केवल हिजाब या भगवा स्कार्फ की नहीं है, बात है हमारी विविधता में एकता और...
महिलाओं की पोशाक पर तथाकथित सभ्य कहे जाने वाले समाज में दंड या भेदभाव करना कोई नई बात नहीं है। लड़कियों के जींस या शार्ट्स पहनने पर समय-समय टोका-टाकी और विकृत मानसिकता समाज की ही नहीं,कई सामाजिक...
View Articleकोई भी धर्म दूसरे धर्म को नीचा दिखाना नहीं सिखाता फिर यह मज़हबी वैचारिकता क्यों?
देख कर भी सब कैसे अनदेखा किया जा रहा है। एक अकेली लड़की की तरफ उसी के कॉलेज में हज़ारों लड़कों की भीड़ चिल्लाते हुए भाग कर आ रही है। मैं इस लड़की मुस्कान की हिम्मत को सलाम करता हूं, जो वो लड़कों की इतनी बड़ी...
View Articleसंस्मरण : लता दी के लिए एक खुला खत
खत लिखकर आपसे रूबरू हो रहा हूं। दिल में बहुत पीड़ा हो रही। आपका प्यारा चेहरा याद आ रहा। जीवन रहे आपसे मिलने का कभी सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ जब तक जिंदा रहीं आपका महफिल में जलवा कायम रहा। आज जबकि आप...
View Articleएक मज़बूत नीतिगत ढांचे के कारण सिंगापुर प्रगतिपरक देशों की सूची में है, जानिए...
स्वतंत्रता के समय, सिंगापुर में सामाजिक व्यवस्था, आर्थिक असमानता से सम्बंधित कई आंतरिक समस्याएं थीं। एक मज़बूत नीतिगत ढांचे के कारण सिंगापुर 1965-1990 के दौरान मानव विकास सूचकांक में उच्च रैंक और 7%...
View Articleसंस्कृति की सामजिक रूढ़ियों की बेड़ियों में जकड़ी नारी और मूकदर्शक पुरुष समाज
वैदिक युग में नारियों का बड़ा ही पूजनीय स्थान था। विवाह के अवसर पर वधू को आशीर्वाद देने के लिए ऋग्वेद में जो मंत्र है, उसमें वधू से कहा गया है कि सास, ससुर, देवर और ननद की तुम साम्राज्य बनो। स्त्रियां...
View ArticleThis Valentine’s Day, Let Me Demystify Love And Its Many Forms
Love, they say, is the most enchanting emotion. Is love just limited to exchanging kisses, hugs, caresses and cuddles? Is love just limited to the love between a boy and a girl? Is love limited just to...
View ArticleHijab Row: “India, Where A Piece Of Cloth Matters More Than Girls’ Education”
As long as no public nuisance occurs, why does someone’s attire even snatch away one’s right to education? The question is pretty straightforward. What’s the actual issue that requires attention and...
View ArticleHijab Ban: India Is Full Of Good People But Their Silence Is The Loudest
An issue at the intersection of freedom of religion and the right to education, has taken Karnataka and the entire country by storm. Many educational institutions in the state are preventing Muslim...
View ArticleHijab Ban: India Is Having The Wrong ‘Uniform’ Debate
If you like me has been living on the internet or seeing your parents watch ‘prime-time’ news debates then hashtags like # HijabRow and #SaffronShawls are not new to you. Students in Karnataka have...
View Articleसदियों पुरानी सामाजिक रूढ़ि जाति व्यवस्था को नकारती हमारी नई पीढ़ी
“जब मैं बड़ी हो रही थी, मुझे जाति व्यवस्था के बारे में कुछ भी नहीं पता था। मैं लोगों के नाम से उनकी जाति को पहचान भी नहीं पाती थी। मुझे जाति पदानुक्रम का कोई ज्ञान नहीं था और ना ही आदिवासी एवं दलितों के...
View Article“Writing With Fire”: 20 Years Of Work By Minority Women
The Oscar nomination of “Writing With Fire,” a documentary on three rural journalists with Khabar Lahariya, deserves an origin story. Khabar Lahariya started as a newspaper in Chitrakoot, Uttar...
View Article“आधुनिक युग में सामाजिक एवं मानवीय मूल्यों की खोखली होती नीवं”
आधुनिक युग में रिश्तों का अर्थ ही बदल सा गया है, जो कदापि भारत की संस्कृति नहीं थी। इसके कई मायने हैं पहला कि पश्चिमी देशों की अंधाधुंध अनुकरण और आधुनिकता के नाम पर अंधी दौड़। महात्मा बुद्ध कहते हैं कि...
View Article”जब मैंने सपना देखा घर से निकलकर कुछ करने का और उसके बाद मैं रुकी नहीं”
प्रवाह आईसीएस में मेरे ये तीन महीने काफी ही अलग रहे, क्योंकि इन अलग संस्कृति, अलग वेषभूषा, अलग भाषा ये सब भले ही अलग रहा हो लेकिन फिर भी इस तीन महीने के सफर को लोगों की उम्मीदों, अपनापन और एक-दूसरे की...
View ArticleFrom The Hijab To Inquilab: I Salute Muskan Khan’s Courage!
Muskan Khan, a Muslim student in Karnataka’s Mandya, was heckled by a group of men wearing saffron scarves. She didn’t back off though, she stood up to them. This happened when she entered her college...
View Articleआदर्श भारतीय नारी आज भी पोषण से कोसों दूर आखिरी निवाला ही खाती है, क्यों?
महिलाओं के शरीर में खास पोषक तत्वों की कमी के कारण कई मुश्किलें खड़ी होती हैं। हम गौर से देखें, तो इसके पीछे हमारी परंपरागत सोच के साथ-साथ आधुनिक जीवनशैली की आदतें भी हैं। मसलन जहां एक तरफ काम की वजह से...
View Article“हिजाब पर उठते सवाल मुस्लिम महिलाओं की स्वायत्तता और उनकी पहचान पर हमला है”
कर्नाटक के उडुपी से हिजाब के खिलाफ, जो भगवा आतंक शुरू हुआ था। वो आज कर्नाटक के कई ज़िलों में फैल चुका है। कर्नाटक में आज जो हो रहा है, उससे साफ-साफ नज़र आने लगा है कि हिंदू नाज़ीवाद जर्मन नाज़ीवाद से...
View Article“आज भी हमारे देश में महिलाएं पितृसत्ता की बेड़ियों में जकड़ी हुई हैं”
“बेटी जब जन्म लेती है, तो गाँव-समाज की आंखों से आंसू इसलिए नहीं निकलते हैं कि बेटी हुई हैं? बल्कि इसलिए निकलते हैं कि बेटी अच्छे घर में ब्याह कर चली जाती है, तब उसके साथ-साथ उसके परिवार का जीवन सफल...
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